देश में बीते शाम मोदी कैबिनेट से महिला आरक्षण बिल पास हो गया है. इसके बाद आज से नए संसद भवन में विशेष सत्र की शुरुआत होने जा रही है. ऐसे में मिली जानकारी के अनुसार, इस नए संसद भवन में पहले दिन महिला आरक्षण बिल पेश होने वाला है. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी लोकसभा में बिल पेश करेंगी. इस बिल के पेश होने के बाद जो सबसे बड़ा सवाल है वह यह कि इस बिल के पेश होने से बिहार पर क्या असर पड़ेगा? लोकसभा में बिहार से और बिहार विधानसभा में कितनी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी?
दरअसल, वर्तमान में बिहार में लोकसभा सीट की बात करें तो इसकी संख्या 40 है. जिसमें वर्तमान में बिहार से मात्र 3 सांसद हैं. ऐसे में अब यह बिल पेश होने के बाद से महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की संख्या 13 हो जाएगी. मतलब साफ है कि किसी भी हाल में बिहार से महिला सांसदों की संख्या 13 होगी, जिससे संसद में भी महिलाओं की सहभागिता बढ़ेगी.
वहीं, बिहार विधानसभा की बात करें तो कुल सीटों की संख्या 243 है. जिसमें सिर्फ 28 महिला विधायक हैं. लेकिन, यदि महिला आरक्षण बिल लागू होता है तो यह संख्या 80 हो जाएगी. मतलब बिहार में भी महिला विधायकों की संख्या कम से कम 80 होगी. इससे सदन के अंदर महिला से जुड़ी समस्याओं को सही तरीके से उठाया जाएगा. हालांकि, यह महिला आरक्षण बिल रोटेशनल बेस पर होगा. 180 लोकसभा सीटों पर डूएल मेंबरशिप होगी. इनमें से एक तिहाई सीट एससी-एसटी के लिए रिजर्व होगी. 2027 के बाद परिसीमन होने के बाद इतनी ही सीट्स को बढ़ा कर महिलाओं के लिए रिजर्व कर दिया जाएगा.
आपको बताते चलें कि, मोदी सरकार ने महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित करने का विधेयक लाया है. इसे सबसे पहले 1996 में एचडी देवगौड़ा सरकार में पेश किया गया था. कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 2008 में इस कानून को फिर से पेश किया. यह कानून 2010 में राज्यसभा में पारित किया गया था, लेकिन यह लोकसभा में पारित नहीं हो सका और 2014 में इसके विघटन के बाद यह खत्म हो गया.