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दोनों सदनों से 'महिला आरक्षण बिल' पास, अब बस राष्ट्रपति की मंजूरी बाकी, फिर बनेगा कानून

'Women's Reservation Bill' passed by both houses, now only P

ऐतिहासिक महिला आरक्षण बिल अब जल्द ही कानून बनने वाला है. कल ही राज्यसभा में इसे लेकर चर्चा हुई जिसके बाद सर्वसम्मति से पास कर दिया गया. यानी कि 'महिला आरक्षण बिल' लोकसभा के साथ-साथ राज्यसभा से भी पास हो गया है. अब बस राष्ट्रपति की मंजूरी बाकी है. राष्ट्रपति द्वारा विधेयक पर हस्ताक्षर करने के बाद यह कानून बन जायेगा. बता दें कि, उच्च सदन यानी कि राज्यसभा में महिला आरक्षण के पक्ष में 215 वोट पड़े. जबकि किसी भी सांसद ने इस बिल के विरोध में वोट नहीं किया. 


राज्यसभा और राज्य विधान परिषदों में लागू नहीं 

बता दें कि, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 33 प्रतिशत कोटा के भीतर आरक्षण देने समेत कई संशोधनों को खारिज किए जाने के बाद विधेयक पारित किया गया है. लोकसभा और राज्य विधान सभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण हॉरिजॉन्टल और वर्टिकल दोनों होगा, जो एससी-एसटी कैटेगरी पर लागू होगा. बता दें कि, देश के 95 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं में से करीब आधी महिलाएं हैं, लेकिन संसद में सिर्फ 15 प्रतिशत और राज्य विधानसभाओं में उनकी हिस्सेदारी 10 प्रतिशत है. महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण संसद के उच्च सदन (राज्यसभा) और राज्य विधान परिषदों में लागू नहीं होगा.


प्रधानमंत्री ने सांसदों का किया धन्यवाद 

दोनों सदनों से बिल पास होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानून का समर्थन करने के लिए सांसदों को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा, जो भावना पैदा हुई है, वह देश के लोगों में एक नया आत्मविश्वास पैदा करेगी और सभी सांसदों और राजनीतिक दलों ने इसमें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. पीएम मोदी ने राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित होने से पहले हाथ जोड़कर सभी सांसदों का आभार जताया. उसके बाद वो लोकसभा पहुंचे और वहां भी उन्होंने सांसदों का आभार जताया. महिला सांसदों ने बुके देकर पीएम मोदी का आभार जताया. प्रधानमंत्री ने कहा कि, दोनों सदनों में 132 से ज्यादा सदस्यों ने मसौदा कानून पर सार्थक चर्चा में भाग लिया.

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