साल 2023 की विदाई में बस अब कुछ ही दिन बचे हैं. बिहार की सियासत में इस साल कई ऐसे राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिले जिन्होंने बिहार का सियासी पारा खूब बढ़ाया. बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई, जातीय जनगणना से लेकर नीतीश कुमार की विपक्षी एकता ने राज्य की ही नहीं देश की सियासत में भी हलचल मचा दी. तो चलिए जानते हैं बिहार में इस साल उन राजनीतीक घटनाक्रमों के बारे में जिन्होंने खूब सुर्खियां बटोरीं.
बाहुबली सांसद आनंद मोहन की रिहाई
बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह को 27 अप्रैल 2023 को रिहा कर दिया गया. उन्हें 16 साल बाद जेल से रिहा किया गया. आनंद मोहन गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी (DM) जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे थे. आनंद मोहन की रिहाई को लेकर बिहार सरकार की तीखी आलोचना भी हुई. नीतीश सरकार के इस फैसले के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दाखिल की गई.
इस याचिका में बिहार सरकार की अधिसूचना को निरस्त करने की मांग की गई थी. हालांकि, आनंद मोहन की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अगले साल जनवरी तक टल गई है.
हिंदू त्योहारों पर सांप्रदायिक दंगे
इस साल बिहार एक बार फिर हिंदू त्योहारों पर सांप्रदायिक हिंसा की आग में झुलसा रहा. राम नवमी हो या हनुमान जयंती, बिहार के कई जिले सांप्रदायिक दंगों की चपेट में आ गए. इस मामले पर राजनीति भी जमकर हुई. इसे हिंदू- मुस्लिम का रंग देकर राजनीतिक पार्टियों ने लोगों को उकसाने का काम किया. बीजेपी नेताओं ने कहा कि लालू यादव की पार्टी के सत्ता में आते ही बिहार में जंगलराज की वापसी हो गई है. वहीं महागठबंधन के नेताओं ने इस हिंसा के लिए बीजेपी को दोषी बताया.
रामचरित मानस पर विवाद
इस साल बिहार के शिक्षामंत्री चंद्रशेखर ने रामचरितमानस पर विवादित बयान देकर खूब सुर्खियां बटोरीं. उनके द्वारा रामचरित मानस पर दिए बयान ने पूरे देश की सियासत को गरमा दी. उन्होंने रामचरितमानस की तुलना पोटेशियम साइनाइड से की थी. उन्होंने रामचरितमानस को समाज को बांटने वाला बता चुके हैं. वो जन्माष्टमी के मौके पर मोहम्मद पैगंबर को मर्यादा पुरुषोत्तम भी कह चुके हैं.
जातीय जनगणना और आरक्षण
नीतीश सरकार ने कई मुश्किलों के बावजूद जातीय जनगणना कर देश में एक बड़ा संदेश दिया. जिसका असर यह हुआ कि कांग्रेस पार्टी भी अब उसी लाइन पर चलने लगी है. बिहार के कास्ट सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार की कुल जनसंख्या 13 करोड़ से अधिक है. इनमें 81.99 फीसदी आबादी हिंदुओं की जबकि 17.70 आबादी मुसलमानों की है. हिंदुओं में सबसे ज्यादा संख्या अत्यंत पिछड़ा वर्ग की है, जोकि 36 प्रतिशत हैं.
इसके अलावा 27 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग, 19 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जाति और 1.68 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या है. वहीं प्रदेश में सवर्णों की आबादी की बात करें तो यह 15.52 फीसदी है. जातीय गणना का सर्वे आने के बाद नीतीश सरकार ने आरक्षण का कोटा 75 फीसदी तक बढ़ा दिया. पहले कहा गया कि नीतीश सरकार के इस फैसले से पूरे देश में भाजपा को नुकसान होगा. लेकिन राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में ऐसा बिल्कुल भी नहीं दिखा और भाजपा बहुमत से आ गई.
विपक्षी एकता की नींव
एनडीए से अलग होने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा से मुकाबला करने के लिए विपक्षी एकता की नींव रखी. इसके लिए उन्होंने पूरे देश भर में घूमकर सभी विपक्षी नेताओं से मिलकर एक मंच पर आने के लिए कहा. उन्होंने विपक्षी नेताओं से गुहार लगाते हुए कहा कि मोदी को हराना है तो सभी को एक होना होगा. उन्होंने इसके लिए पटना में ही सबसे पहली बैठक बुलाई.
उपेंद्र कुशवाहा ने नई पार्टी बनाई
नीतीश कुमार से मतभेद के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने एक बार फिर से जेडीयू से रिश्ता तोड़ लिया और उन्होंने अपनी नई पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल बना ली. इसके बाद फिर से वे एनडीए में शामिल हो गए.
बता दें कि उपेंद्र कुशवाहा ने 2007 में पहली बार जदयू से बगावत कर समता पार्टी बनाई थी. हालांकि, 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्हें जब करारी शिकस्त मिली तो फिर से नीतीश कुमार का हाथ पकड़ लिया. साल 2013 में फिर नीतीश को झटका दिया और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का गठन किया था और 2014 में एनडीए में शामिल हो गए. पलटी मारने में उपेंद्र कुशवाहा भी नीतीश कुमार से कम नहीं हैं. उन्होंने अब तक 8 बार पलटी मारी है.
नीतीश कुमार का विवादित बयान
नीतीश कुमार ने विधानसभा में जनसंख्या नियंत्रण पर विवादित बयान देकर पूरे देश का सियासी पारा बढ़ा दिया. उन्होंने बेहद फूहड़ तरीके से जनसंख्या नियंत्रण पर अपनी बात रखी जिसके बाद सदन में मौजूद महिलाओं ने इसका विरोध किया. वहीं इसके ठीक बाद जीतन राम मांझी को लेकर जो नीतीश ने बयान दिया वह भी असहज करने वाला था.
दरअसल यहां सदन में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर जो बयान नीतीश ने दिया वह इतना आपत्तिजनक था कि उससे सदन में बैठी महिलाएं ही नहीं पुरुष भी असहज हो गए. वह एकदम अलग मुड में थे. उन्होंने कहा कि पुरुष रोज रात में करता है ना उसी में से जो पानी निकलता है उसको अंदर छोड़ देता है जिससे बच्चा पैदा होता है. अगर वही बाहर निकाल देगा तो बच्चा पैदा नहीं होगा. नीतीश के इस बयान पर जमकर बवाल हुआ. हालांकि नीतीश ने अपने इस बयान पर बाद में माफी मांग ली. सदन के भीतर भी उन्होंने इसको लेकर माफी मांगी.
वहीं सदन में नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी को लेकर भी आपत्तिजनक बयान दिए. वह तू-तड़ाक की भाषा पर उतर आए. उन्होंने कहा कि उनकी मुर्खता की वजह से जीतन राम मांझी सीएम बने. उन्होंने कहा कि वह नहीं चाहते तो जीतन राम मांझी कभी सीएम नहीं बनते. नीतीश के इस बयान पर पीएम नरेंद्र मोदी ने भी हमला बोला था.
वहीं नीतीश कुमार साल 2023 में मीडिया से भी दूरी बनाते नजर आए. साथ ही जब भी मौका मिला मीडिया पर गुस्सा भी करते नजर आए. उन्होंने मोतिहारी में एक कार्यक्रम में भाजपा के नेताओं की तरफ इशारा करते हुए कहा था कि कितना भी कुछ हो जाए हम आपको नहीं छोड़ेंगे. आपकी हमारी दोस्ती कोई नई है क्या? इसको लेकर जब मीडिया में सवाल किया गया तो वह मीडियाकर्मियों पर हीं भड़क गए. उन्होंने पत्रकारों से अंतिम बार बात करने की धमकी भी दे डाली.
बिहार में निवेश
राजनीति से इतर बिहार में अडाणी समूह ने अकेले 8,700 करोड़ रुपये के निवेश का वादा किया है. बढती बेरोजगारी के बीच बिहार सरकार 2023 के दौरान रोजगार सृजन के वादे को पूरा करने में जुटी रही और उसने पुलिस, स्वास्थ्य एवं शिक्षा विभागों में बड़े पैमाने पर भर्ती अभियान चलाया . उसे अब निजी क्षेत्र द्वारा निवेश के किए गए वादों से और अधिक रोजगार सृजन की उम्मीद है.
इस साल शिक्षक भर्ती
बिहार में इस साल शिक्षक भर्ती परीक्षाओं में भाग लेने के लिए उत्तर प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों से भी युवा बड़ी संख्या में आए. अपने चुनावी वादे में 10 लाख सरकारी नौकरी का वादा करने वाले उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव रोजगार सृजन के फैसले को लेकर नीतीश कुमार को धन्यवाद देना नहीं भूलते हैं. वर्ष 2023 में बिहार के सरकारी स्कूल कैलेंडर में हिंदू त्योहारों पर छुट्टियों में कथित कटौती पर भाजपा की नाराजगी को उसके ‘हिंदुत्व कार्ड’ के तौर पर देखा गया. मार्च, 2023 में बिहार के मजदूरों की तमिलनाडु में पिटाई वाले वीडियो को दोनों राज्यों की पुलिस ने फर्जी करार दिया. इसे दोनों राज्यों के बीच दरार पैदा करने की एक कोशिश के तौर पर देखा गया था.
इसके साथ ही बिहार के लगभग 4 लाख शिक्षकों को नए साल से ठीक पहले बड़ा तोहफा भी मिला. राज्य के नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दिए जाने की मंजूरी मिल गई. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया. नियोजित शिक्षकों को इस फैसले का लंबे समय से इंतजार था. बताया जा रहा है कि जल्द ही शिक्षा विभाग की ओर से सक्षमता परीक्षा आयोजित की जाएगी. उसके बाद नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दे दिया जाएगा.