Desk:- नए साल 2025 में पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात की. इस मन की बात की 118वीं एपिसोड में प्रधानमंत्री ने कई अहम मुद्दों पर चर्चा की, और युवाओं को प्रेरित करने के लिए संघर्ष की कई कहानियां सुनाई. उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के अंग्रेजों के खिलाफ उठाए गए कदमों की भी चर्चा की.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के इस एपिसोड ने कहा:-
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। आज 2025 की पहली ‘मन की बात’ हो रही है। आप लोगों ने एक बात जरूर नोटिस की होगी। हर बार ‘मन की बात’ महीने के आखिरी रविवार को होती है, लेकिन इस बार, हम, एक सप्ताह पहले चौथे रविवार की बजाय तीसरे रविवार को ही मिल रहे हैं। क्योंकि अगले सप्ताह, रविवार के दिन ही ‘गणतंत्र दिवस’ है। मैं सभी देशवासियो को ‘गणतंत्र दिवस’ की अग्रिम शुभकामनाएं देता हूँ। ।
साथियो, इस बार का ‘गणतंत्र दिवस’ बहुत विशेष है। ये भारतीय गणतंत्र की 75वीं वर्षगाँठ है। इस वर्ष संविधान लागू होने के 75 साल हो रहे हैं। मैं संविधान सभा के उन सभी महान व्यक्तित्वों को नमन करता हूँ, जिन्होंने हमें हमारा पवित्र संविधान दिया। संविधान सभा के दौरान अनेक विषयों पर लंबी-लंबी चर्चाएं हुईं। वो चर्चाएं संविधान सभा के सदस्यों के विचार, उनकी वो वाणी, हमारी बहुत बड़ी धरोहर है। आज ‘मन की बात’ में मेरा प्रयास है कि आपको कुछ महान नेताओं की ओरिजिनल आवाज सुनाऊँ।
साथियो, जब संविधान सभा ने अपना काम शुरू किया, तो बाबा साहब आंबेडकर ने परस्पर सहयोग को लेकर एक बहुत महत्वपूर्ण बात कही थी। उनका ये सम्बोधन English में है। मैं उसका एक अंश आपको सुनाता हूँ -
“So far as the ultimate goal is concerned, I think none of us need have any apprehensions. None of us need have any doubt, but my fear which I must express clearly is this, our difficulty as I said is not about the ultimate future. Our difficulty is how to make the heterogeneous mass that we have today, take a decision in common and march in a cooperative way on that road which is bound to lead us to unity. Our difficulty is not with regard to the ultimate; our difficulty is with regard to the beginning.”
साथियो, बाबा साहब इस बात पर जोर दे रहे थे कि संविधान सभा एक साथ, एक मत हो, और मिलकर, सर्वहित के लिए काम करे। मैं आपको संविधान सभा की एक और ऑडियो क्लिप सुनाता हूँ। ये ऑडियो डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी का है, जो हमारी संविधान सभा के प्रमुख थे। आइए डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी को सुनते हैं -
“हमारा इतिहास बताता है और हमारी संस्कृति सिखाती है कि हम शांति प्रिय हैं और रहे हैं। हमारा साम्राज्य और हमारी फतह दूसरी तरह की रही है, हमने दूसरो को जंजीरो से, चाहे वो लोहे की हो या सोने की, कभी नहीं बांधने की कोशिश की है। हमने दूसरों को अपने साथ, लोहे की जंजीर से भी ज्यादा मजबूत मगर सुंदर और सुखद रेशम के धागे से बांध रखा है और वो बंधन धर्म का है, संस्कृति का है, ज्ञान का है। हम अब भी उसी रास्ते पर चलते रहेंगे और हमारी एक ही इच्छा और अभिलाषा है, वो अभिलाषा ये है कि हम संसार में सुख और शांति कायम करने में मदद पहुंचा सकें और संसार के हाथों में सत्य और अहिंसा वो अचूक हथियार दे सकें जिसने हमें आज आजादी तक पहुंचाया है। हमारी जिंदगी और संस्कृति में कुछ ऐसा है जिसने हमें समय के थपेड़ों के बावजूद जिंदा रहने की शक्ति दी है। अगर हम अपने आदर्शों को सामने रखे रहेंगे तो हम संसार की बड़ी सेवा कर पाएंगे।”
साथियो, डॉ० राजेंद्र प्रसाद जी ने मानवीय मूल्यों के प्रति देश की प्रतिबद्धता की बात कही थी। अब मैं आपको डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की आवाज सुनाता हूँ। उन्होंने अवसरों की समानता का विषय उठाया। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था -
“I hope sir that we shall go ahead with our work in spite of all difficulties and thereby help to create that great India which will be the motherland of not this community or that, not this class or that, but of every person, man, woman and child inhabiting in this great land irrespective of race, caste, creed or community. Everyone will have an equal opportunity, so that he or she can develop himself or herself according to best talent and serve the great common motherland of India.”
साथियो, मुझे उम्मीद है, आपको भी संविधान सभा की डिबेट से ये ओरिजिनल ऑडियो सुनकर अच्छा लगा होगा। हम देशवासी को, इन विचारों से प्रेरणा लेकर, ऐसे भारत के निर्माण के लिए काम करना है, जिस पर हमारे संविधान निर्माताओं को भी गर्व हो।
साथियो, ‘गणतंत्र दिवस’ से एक दिन पहले 25 जनवरी को national voters’ day है। ये दिन इसलिए अहम है, क्योंकि इस दिन ‘भारतीय निर्वाचन आयोग’ की स्थापना हुई थी| हमारे संविधान निर्माताओं ने संविधान में हमारे चुनाव आयोग को, लोकतंत्र में लोगों की भागीदारी को, बहुत बड़ा स्थान दिया है। देश में जब 1951-52 में पहली बार चुनाव हुए, तो कुछ लोगों को संशय था, कि क्या, देश का लोकतंत्र जीवित रहेगा। लेकिन, हमारे लोकतंत्र ने सारी आशंकाओं को गलत साबित किया - आखिर भारत, Mother of Democracy है। बीते दशकों में भी देश का लोकतंत्र सशक्त हुआ है, समृद्ध हुआ है। मैं चुनाव आयोग का भी धन्यवाद दूंगा, जिसने समय-समय पर, हमारी मतदान प्रक्रिया को आधुनिक बनाया है, मजबूत किया है। आयोग ने जन-शक्ति को और शक्ति देने के लिए, तकनीक की शक्ति का उपयोग किया। मैं चुनाव आयोग को निष्पक्ष चुनाव के उनके commitment के लिए बधाई देता हूँ। मैं देशवासियों से कहूँगा कि वो ज्यादा-से-ज्यादा संख्या में अपने मत के अधिकार का उपयोग करें, हमेशा करें, और देश के डेमोक्रेटिक प्रोसेस का हिस्सा भी बनें और इस प्रोसेस को सशक्त भी करें।
मेरे प्यारे देशवासियो, प्रयागराज में महाकुंभ का श्रीगणेश हो चुका है। चिरस्मरणीय जन-सैलाब, अकल्पनीय दृश्य और समता-समरसता का असाधारण संगम! इस बार कुंभ में कई दिव्य योग भी बन रहे हैं। कुंभ का ये उत्सव विविधता में एकता का उत्सव मनाता है। संगम की रेती पर पूरे भारत के, पूरे विश्व के लोग, जुटते हैं। हजारों वर्षों से चली या रही इस परंपरा में कहीं भी कोई भेदभाव नहीं, जातिवाद नहीं। इसमें भारत के दक्षिण से लोग आते हैं, भारत के पूर्व और पश्चिम से लोग आते हैं। कुंभ में गरीब-अमीर सब एक हो जाते हैं। सब लोग संगम में डुबकी लगाते हैं, एक साथ भंडारों में भोजन करते हैं, प्रसाद लेते हैं - तभी तो ‘कुंभ’ एकता का महाकुंभ है। कुंभ का आयोजन हमें ये भी बताता है कि कैसे हमारी परम्पराएं पूरे भारत को एक सूत्र में बांधती हैं। उत्तर से दक्षिण तक मान्यताओं को मानने के तरीके एक जैसे ही हैं। एक तरफ प्रयागराज, उज्जैन, नासिक और हरिद्वार में कुंभ का आयोजन होता है, वैसे ही, दक्षिण भू-भाग में, गोदावरी, कृष्णा, नर्मदा और कावेरी नदी के तटों पर पुष्करम होते हैं। ये दोनों ही पर्व हमारी पवित्र नदियों से, उनकी मान्यताओं से, जुड़े हुए हैं। इसी तरह कुंभकोणम से तिरुक्कड-यूर, कूड़-वासल से तिरुचेरई अनेक ऐसे मंदिर हैं, जिनकी परम्पराएं कुंभ से जुड़ी हुई हैं।
साथियो, इस बार आप सब ने देखा होगा कि कुंभ में युवाओं की भागीदारी बहुत व्यापक रूप में नजर आती है, और ये भी सच है कि जब युवा-पीढ़ी, अपनी सभ्यता के साथ, गर्व के साथ, जुड़ जाती है, तो उसकी जड़ें, और मजबूत होती हैं, और तब उसका स्वर्णिम भविष्य भी सुनिश्चित हो जाता है। हम इस बार कुंभ के digital footprints भी इतने बड़े स्केल पर देख रहे हैं। कुंभ की ये वैश्विक लोकप्रियता हर भारतीय के लिए गर्व की बात है।
साथियो, कुछ दिन पहले ही, पश्चिम बंगाल में ‘गंगा सागर’ मेले का भी विहंगम आयोजन हुआ है। संक्रांति के पावन अवसर पर इस मेले में पूरी दुनिया से आए लाखों श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई है। ‘कुंभ’, ‘पुष्करम’ और ‘गंगा सागर मेला’ - हमारे ये पर्व, हमारे सामाजिक मेल-जोल को, सद्भाव को, एकता को बढ़ाने वाले पर्व हैं। ये पर्व भारत के लोगों को भारत की परंपराओं से जोड़ते हैं, और जैसे हमारे शास्त्रों ने संसार में धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, चारों पर बल दिया है। वैसे ही हमारे पर्वों और परम्पराएं भी आध्यात्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक, हर पक्ष को भी सशक्त करते हैं।
साथियो, इस महीने हमने ‘पौष शुक्ल द्वादशी’ के दिन रामलला के प्राण प्रतिष्ठा पर्व की पहली वर्षगांठ मनाई है। इस साल ‘पौष शुक्ल द्वादशी’ 11 जनवरी को पड़ी थी। इस दिन लाखों राम भक्तों ने अयोध्या में रामलला के साक्षात दर्शन कर उनका आशीर्वाद लिया। प्राण प्रतिष्ठा की ये द्वादशी, भारत की सांस्कृतिक चेतना की पुनः प्रतिष्ठा की द्वादशी है। इसलिए पौष शुक्ल द्वादशी का ये दिन एक तरह से प्रतिष्ठा द्वादशी का दिन भी बन गया है। हमें विकास के रास्ते पर चलते हुए, ऐसे ही, अपनी विरासत को भी सहेजना है, उनसे प्रेरणा लेते हुए आगे बढ़ना है।
मेरे प्यारे देशवासियो, 2025 की शुरुआत में ही भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं। आज, मुझे ये बताते हुए गर्व है कि एक भारतीय space-tech start-up बेंगलुरू के Pixxel (पिक्सेल) ने भारत का पहला निजी satellite constellation – ‘Firefly’ (फायर-फ्लाई), सफलतापूर्वक launch किया है। यह satellite constellation दुनिया का सबसे High-Resolution Hyperspectral Satellite Constellation है। इस उपलब्धि ने, न केवल भारत को आधुनिक स्पेस टेक्नोलॉजी में अग्रणी बनाया है, बल्कि, यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। ये सफलता हमारे निजी स्पेस सेक्टर की बढ़ती ताकत और innovation का प्रतीक है। मैं इस उपलब्धि के लिए Pixxel की टीम, ISRO, और IN-SPACe को पूरे देश की ओर से बधाई देता हूं।
साथियो, कुछ दिन पहले हमारे वैज्ञानिकों ने space sector में ही एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की। हमारे साइंटिस्टस ने satellites की space docking कराई है। जब अंतरिक्ष में दो spacecraft connect किए जाते हैं, तो, इस प्रक्रिया को Space Docking कहते हैं। यह तकनीक अंतरिक्ष में space station तक supply भेजने और crew mission के लिए अहम है। भारत ऐसा चौथा देश बना है, जिसने ये सफलता हासिल की है।
साथियो, हमारे वैज्ञानिक अंतरिक्ष में पौधे उगाने और उन्हें जीवित रखने के प्रयास भी कर रहे हैं। इसके लिए ISRO के वैज्ञानिकों ने लोबिया के बीज को चुना। 30 दिसंबर को भेजे गए ये बीज अंतरिक्ष में ही अंकुरित हुए। ये एक बेहद प्रेरणादायक प्रयोग है जो भविष्य में space में सब्जियां उगाने का रास्ता खोलेगा। ये दिखाता है कि हमारे वैज्ञानिक कितनी दूर की सोच के साथ काम कर रहे हैं।
साथियो, मैं आपको एक और प्रेरणादायक पहल के बारे में बताना चाहता हूं। IIT मद्रास का ExTeM (एक्सटेम) केंद्र अंतरिक्ष में मैन्युफैक्चरिंग के लिए नई तकनीकों पर काम कर रहा है। ये केंद्र अंतरिक्ष में 3D–Printed buildings, metal foams और optical fibers जैसे तकनीकों पर रिसर्च कर रहा है। ये सेंटर, बिना पानी के concrete निर्माण जैसी क्रांतिकारी विधियों को भी विकसित कर रहा है। ExTeM (एक्सटेम) की ये रिसर्च , भारत के गगनयान मिशन और भविष्य के स्पेस स्टेशन को मजबूती देगी। इससे मैन्युफैक्चरिंग में आधुनिक टेक्नोलॉजी के भी नए रास्ते खुलेगें।
साथियो, ये सभी उपलब्धियां इस बात का प्रमाण है कि भारत के वैज्ञानिक और innovators भविष्य की चुनौतियों का समाधान देने के लिए कितने visionary हैं। हमारा देश, आज, Space technology में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। मैं भारत के वैज्ञानिकों, innovators और युवा उद्यमियों को पूरे देश की ओर से शुभकामनाएँ देता हूं।
मेरे प्यारे देशवासियो, आपने कई बार इंसानों और जानवरों के बीच गजब की दोस्ती की तस्वीरें देखी होंगी, आपने जानवरों की वफादारी की कहानियाँ सुनी होंगी। जानवर पालतू हों या जंगल में रहने वाले पशु, इंसानों से उनका नाता कई बार हैरान कर देता है। जानवर भले बोल नहीं पाते, लेकिन उनकी भावनाओं को, उनके हाव-भाव को, इंसान, भली-भांति भांप लेते हैं। जानवर भी प्यार की भाषा को समझते हैं, उसे निभाते भी हैं। मैं आपसे असम का एक उदाहरण साझा करना चाहता हूं। असम में एक जगह है ‘नौगांव’। ‘नौगांव’ हमारे देश की महान विभूति श्रीमंत शंकरदेव जी का जन्म स्थान भी है। ये जगह बहुत ही सुंदर है। यहाँ हाथियों का भी एक बड़ा ठिकाना है। इस क्षेत्र में कई घटनाएं देखी जा रही थी, जहां हाथियों के झुंड फसलों को बर्बाद कर देते थे, किसान परेशान रहते थे, जिससे आस-पास के करीब 100 गांवों के लोग, बहुत परेशान थे, लेकिन गांववाले, हाथियों की भी मजबूरी समझते थे। उन्हें पता था कि हाथी, भूख मिटाने के लिए, खेतों का रूख कर रहे हैं, इसलिए गांववालों ने इसका समाधान निकालने की सोची। गावंवालों की एक टीम बनी, जिसका नाम था ‘हाथी बंधु’। हाथी बंधुओं ने सूझ-बूझ दिखाते हुए करीब 800 बीघा बंजर भूमि पर एक अनूठी कोशिश की। यहाँ गांववालों ने आपस में मिल-जुल कर Napier grass लगाई। इस घास को हाथी बहुत पसंद करते हैं। इसका असर ये हुआ कि हाथियों ने खेतों की ओर जाना कम कर दिया। ये हजारों गांववालों के लिए बहुत राहत की बात है। उनका ये प्रयास हाथियों को भी खूब भाया है।
साथियो, हमारी संस्कृति और विरासत हमें आस-पास के पशु–पक्षियों के साथ प्यार से रहना सिखाती है। ये हम सभी के लिए बहुत खुशी की बात है, कि बीते दो महीनों में, हमारे देश में दो नए Tiger Reserves जुड़े हैं। इनमें से एक है छत्तीसगढ़ में गुरु घासीदास–तमोर पिंगला Tiger Reserve और दूसरा है – मप्र में रातापानी Tiger Reserve.
मेरे प्यारे देशवासियो, स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था, जिस व्यक्ति में अपने Idea को लेकर जुनून होता है, वही, अपने लक्ष्य को हासिल कर पाता है। किसी Idea को सफल बनाने के लिए हमारा passion और dedication सबसे जरूरी होता है। पूरी लगन और उत्साह से ही innovation, creativity और सफलता का रास्ता अवश्य निकलता है। कुछ दिन पहले ही, स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर, मुझे, ‘विकसित भारत यंग लीडर्स डायलॉग ’ का हिस्सा बनने का सौभाग्य मिला। यहां मैंने देश के कोने-कोने से आए युवा-साथियों के साथ अपना पूरा दिन बिताया। युवाओं ने startups, culture, Women, Youth और Infrastructure जैसे कई सेक्टर्स को लेकर अपने Ideas शेयर किए। यह कार्यक्रम मेरे लिए बहुत यादगार रहा।
साथियो, कुछ दिन पहले ही StartUp इंडिया के 9 साल पूरे हुए हैं। हमारे देश में जितने StartUps 9 साल में बने हैं उनमें से आधे से ज्यादा Tier 2 और Tier 3 शहरों से हैं, और जब यह सुनते हैं तो हर हिन्दुस्तानी का दिल खुश हो जाता है यानि हमारा StartUp Culture बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं है। और आपको यह जानकर हैरानी होगी कि छोटे शहरों के StartUps में आधे से ज्यादा का नेतृत्व हमारी बेटियां कर रही हैं। जब यह सुनने को मिलता है कि अंबाला, हिसार, कांगड़ा, चेंगलपट्टु, बिलासपुर, ग्वालियर और वाशिम जैसे शहर StartUps के Center बन रहे हैं, तो ‘मन’ आनंद से भर जाता है। नागालैंड जैसे राज्य में, पिछले साल StartUps के Registration में 200% से अधिक की वृद्धि हुई है। Waste Management, Non-Renewable Energy, Biotechnology और Logistics ऐसे Sector हैं, जिनसे जुड़े Start-Up सबसे ज्यादा देखे जा रहें हैं। ये Conventional Sectors नहीं हैं लेकिन हमारे युवा-साथी भी तो Conventional से आगे की सोच रखते हैं, इसलिए, उन्हें सफलता भी मिल रही है।
साथियो, 10 साल पहले जब कोई StartUp के क्षेत्र में जाने की बात करता था, तो उसे, तरह-तरह के ताने सुनने को मिलते थे। कोई ये पूछता था कि आखिर StartUp होता क्या है? तो कोई कहता था कि इससे कुछ होने वाला नहीं है! लेकिन अब देखिए, एक दशक में कितना बड़ा बदलाव आ गया। आप भी भारत में बन रहे नए अवसरों का भरपूर लाभ उठाएं। अगर आप खुद पर विश्वास रखेंगे तो आपके सपनों को भी नई उड़ान मिलेगी।
मेरे प्यारे देशवासियो, नेक नियत से निस्वार्थ भावना के साथ किए गए कामों की चर्चा दूर-सुदूर पहुँच ही जाती है। और हमारा ‘मन की बात’ तो इसका बहुत बड़ा Platform है। हमारे इतने विशाल देश में दूर-दराज भी अगर कोई अच्छा काम कर रहा होता है, कर्तव्य भावना को सर्वोपरि रखता है, तो उसके प्रयासों को सामने लाने का, ये, बेहतरीन मंच है। अरुणाचल प्रदेश में दीपक नाबाम जी ने सेवा की अनूठी मिसाल पेश की है। दीपक जी यहां Living-Home चलाते हैं। जहां मानसिक रूप से बीमार, शरीर से असमर्थ लोगों और बुजुर्गों की सेवा की जाती है, यहां पर Drugs की लत के शिकार लोगों की देख-भाल की जाती है। दीपक नाबाम जी ने बिना किसी सहायता के समाज के वंचित लोगों, हिंसा पीड़ित परिवारों, और बेघर लोगों को, सहारा देने का अभियान शुरू किया। आज उनकी सेवा ने एक संस्था का रूप ले लिया है। उनकी संस्था को कई Award से भी सम्मानित किया गया है। लक्षद्वीप के कवरत्ती द्वीप पर Nurse के रूप में काम करने वाली के. हिंडुम्बी जी उनका काम भी बहुत प्रेरित करने वाला है। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि वो 18 वर्ष पहले सरकारी नौकरी से Retire हो चुकी हैं, लेकिन आज भी उसी करुणा, और स्नेह के साथ, लोगों की सेवा में जुटी हैं जैसे वो पहले करती थीं। लक्षद्वीप के ही केजी मोहम्मद जी के प्रयास ये भी अद्भुत हैं। उनकी मेहनत से मिनीकॉय द्वीप का Marine Ecosystem मजबूत हो रहा है। उन्होनें पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कई गीत लिखे हैं। उन्हें लक्षद्वीप साहित्य कला अकादमी की तरफ से Best folk song award भी मिल चुका है। केजी मोहम्मद रिटायरमेंट के बाद वहां के म्यूजियम के साथ जुड़कर भी काम कर रहे हैं।
साथियो, एक और बड़ी अच्छी खबर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से भी है। निकोबार जिले में virgin coconut oil को हाल ही में GI Tag मिला है। virgin coconut oil उसको GI Tag के बाद एक और नई पहल हुई है। इस oil के उत्पादन से जुड़ी महिलाओं को संगठित कर self help group बनाए जा रहे हैं, उन्हें Marketing और branding की special training भी दी जा रही है। ये हमारे आदिवासी समुदायों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। मुझे विश्वास है, भविष्य में निकोबार का virgin coconut oil दुनिया-भर में धूम मचाने वाला है और इसमें सबसे बड़ा योगदान अंडमान और निकोबार के महिला self help group का होगा।
मेरे प्यारे देशवासियो, पल-भर के लिए आप एक दृष्य की कल्पना कीजिए- कोलकाता में जनवरी का समय है। दूसरा विश्व युद्ध अपने चरम पर है और इधर भारत में अंग्रेजों के खिलाफ गुस्सा उफान पर है। इसकी वजह से शहर में चप्पे-चप्पे पर पुलिसवालों की तैनाती है। कोलकाता के बीचों–बीच एक घर के आस-पास पुलिस की मौजूदगी ज्यादा चौकस है। इसी बीच, लंबा ब्राउन कोट , पैन्ट्स और काली टोपी पहने हुए एक व्यक्ति रात के अंधेरे में एक बंगले से कार लेकर बाहर निकलता है। मजबूत सुरक्षा वाली कई चौकियों को पार करते हुए वो एक रेलवे स्टेशन गोमो पहुँच जाता है। ये स्टेशन अब झारखंड में है। यहां से एक ट्रेन पकड़कर वो आगे के लिए निकलता है। इसके बाद अफगानिस्तान होते हुए, वो यूरोप जा पहुंचता है - और यह सब अंग्रेजी हुकूमत के अभेद किलेबंदी के बावजूद होता है।
साथियो, ये कहानी आपको फिल्मी सीन जैसी लगती होगी। आपको लग रहा होगा, इतनी हिम्मत दिखाने वाला व्यक्ति आखिर किस मिट्टी का बना होगा। दरअसल ये व्यक्ति कोई और नहीं, हमारे देश की महान विभूति, नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे। 23 जनवरी यानि उनकी जन्म-जयंती को अब हम ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाते हैं। उनके शौर्य से जुड़ी इस गाथा में भी उनके पराक्रम की झलक मिलती है। कुछ साल पहले, मैं उनके उसी घर में गया था जहां से वे अंग्रेजों को चकमा देकर निकले थे। उनकी वो कार अब भी वहां मौजूद है। वो अनुभव मेरे लिए बहुत ही विशेष रहा। सुभाष बाबू एक विज़नरी थे। साहस तो उनके स्वभाव में रचा-बसा था। इतना ही नहीं, वे बहुत कुशल प्रशासक भी थे। महज 27 साल की उम्र में वो Kolkata Corporation के Chief Executive Officer बने और उसके बाद उन्होंने मेयर की जिम्मेदारी भी संभाली। एक प्रशासक के रूप में भी उन्होंने कई बड़े काम किए। बच्चों के लिए स्कूल, गरीब बच्चों के लिए दूध का इंतजाम और स्वच्छता से जुड़े उनके प्रयासों को आज भी याद किया जाता है। नेताजी सुभाष का रेडियो के साथ भी गहरा नाता रहा है। उन्होंने ‘आजाद हिन्द रेडियो’ की स्थापना की थी, जिस पर उन्हें सुनने के लिए लोग बड़ी बेसब्री से प्रतीक्षा करते थे। उनके संबोधनों से, विदेशी शासन के खिलाफ, लड़ाई को, एक नई ताकत मिलती थी। ‘आजाद हिन्द रेडियो’ पर अंग्रेजी, हिन्दी, तमिल, बांग्ला, मराठी, पंजाबी, पश्तो और उर्दू में न्यूज़ बुलेटिन का प्रसारण होता था। मैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस को नमन करता हूं। देश-भर के युवाओं से मेरा आग्रह है कि वे उनके बारे में अधिक-से-अधिक पढ़ें और उनके जीवन से निरंतर प्रेरणा लें।
साथियो, ‘मन की बात’ का ये कार्यक्रम, हर बार मुझे राष्ट्र के सामूहिक प्रयासों से, आप सब की सामूहिक इच्छाशक्ति से, जोड़ता है। हर महीने मुझे बड़ी संख्या में आपके सुझाव, आपके विचार मिलते हैं और हर बार इन विचारों को देखकर विकसित भारत के संकल्प पर मेरा विश्वास और बढ़ता है। आप सब इसी तरह अपने-अपने काम से भारत को सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए प्रयास करते रहें। इस बार की ‘मन की बात’ में फिलहाल इतना ही, अगले महीने फिर मिलेंगे - भारतवासियों की उपलब्धियां, संकल्पों और सिद्धियों की नई गाथाओं के साथ, बहुत-बहुत धन्यवाद। नमस्कार।