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रांची के पहाड़ी मंदिर आये, परम पूज्य श्री शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती 1008 जी महाराज, जहाँ उनका भव्य स्वागत किया गया...

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परम पूज्य श्री शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती 1008 जी महाराज पहाड़ी मंदिर आये जहाँ उनका भव्य स्वागत किया गया। मीनाक्षी हॉल गली से उनका विशाल शोभायात्रा शुरू हुआ, जिसमें हजारों हजार की संख्या में भक्त गौ माता की जय घोष के साथ पहाड़ी मंदिर आये, जहाँ उनका स्वागत स्वागत मंदिर समिति के राजेश साहू एवं बादल सिंह के द्वारा पहाड़ी बाबा का प्रतिमा देकर एवं अंगवस्त्र दे कर किया गया, उसके बाद श्री शंकराचार्य जी सती मंदिर में सभा की संबोधन किया।

सनातन धर्म में वेद, उपनिषद, पुराणों सहित समस्त धर्म शास्त्रों में गो की महिमा गई है। गाय को पशु नहीं अपितु माता की प्रतिष्ठा दी गई है यही सनातन धर्मी हिंदुओ की पवित्र भावना है, आस्था है। इसी धार्मिक आस्था हेतु संविधान एवं कानून में गाय को राज्य सूची से हटाकर केंद्रीय सूची में डालकर गौमाता को राष्ट्रमाता का सम्मान दिलाने तथा गौहत्या मुक्त भारत बनाने के लिए संपूर्ण भारत में गौ प्रतिष्ठा आंदोलन चलाया जा रहा है। 

स्वतंत्रता प्राप्त से ही निरन्तर गौमाता की प्रतिष्ठा एवं रक्षा के प्रयास होते रहे है जिसमें 1966 के धर्म सम्राट यतिचक्रचूडामणि पूज्य करपात्री जी महाराज जी के नेतृत्व में हुआ प्रचलित गौरक्षा आंदोलन है जिसके लिए हजारों गौभक्तों का बलिदान हुआ था। इसी क्रम में गौमाता को राष्ट्रमाता का सम्मान दिलाकर गोहत्या मुक्त भारत बनाने हेतु परम गोभक्त पूज्य गोपाल मणि जी ने गौ प्रतिष्ठा आंदोलन का नेतृत्व कर देशभर में इसे जीवन्त रखा तथा इस पवित्र अभियान में चारो पीठों के जगद्गुरु शंकराचार्यों का आशीर्वाद प्राप्त किया। चारो पीठों के पूज्य जगद्गुरू शंकराचार्यों द्वारा अभिषिंचित एवं समर्थित गौमाता को राष्ट्रमाता का सम्मान दिलाने एवं गौहत्या बंदी कानून हेतु देश में गौ संसद का आयोजन हुआ जिसमें रामा गौ प्रतिष्ठा संहिता बिल सहित 42 बिंदु का धर्मादेश भी पारित किया जा चुका है । गौ प्रतिष्ठा के इस अभियान को प्रज्वलित करने हेतु गौ घृत की ज्योति को प्रकाशित कर ज्योर्तिमठ के 

परम पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज जी ने इस आंदोलन का निर्देशन कर रहे है जिन्होंने 14 मार्च से लेकर 28 मार्च 2024 तक नंगे पैर पदयात्रा गोवर्धन से दिल्ली तक भी की । पूज्य जगद्गुरू ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य जी के निर्देशन में आज गौ प्रतिष्ठा का अभियान निरन्तर देशभर में गतिमान है जिन्होंने इस संवत्सर को गौ संवत्सर के रूप में घोषित भी किया है।

पूज्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जी के निर्देशन एवं नेतृत्व में संपूर्ण भारत में गौ प्रतिष्ठा आंदोलन के अंतर्गत गो ध्वज स्थापना भारत यात्रा दिनांक 22 सितंबर से 26 अक्टूबर तक होनी निश्चित हुई है जो भारत के समस्त 37 प्रदेशों की राजधानियों तक जाएगी तथा वहां एक गो ध्वज की स्थापना की जाएगी। गो प्रतिष्ठा आंदोलन के संयोजक पूज्य गोपाल मणि जी महाराज भी पूरे समर्पण और शक्ति के साथ यात्रा की सफलता हेतु प्राण-प्रण से शंकराचार्य जी के साथ हर कदम में साथ रहेंगे। प्रत्येक राज्य की राजधानियों में विशाल गो प्रतिष्ठा सम्मेलन का दिव्य भव्य आयोजन होगा जिसका श्रीगणेश गोरक्षक, गोभक्त भगवान श्रीराम जी की राजधानी अयोध्या से होगा जहां भगवान रामलला के रूप में विद्यमान हैं जहां से यह पूर्व, पश्चिम, दक्षिण, उत्तर होते हुए 26 अक्टूबर को देश की राजधानी दिल्ली में होगी। पूज्य जगद्गुरू शंकराचार्य जी द्वारा समस्त भारत के प्रखर गोभक्तो को सम्मानित भी किया जाएगा। 

इस गो ध्वज स्थापना भारत यात्रा का लक्ष्य संपूर्ण भारत में गो प्रतिष्ठा आंदोलन हेतु समस्त राष्ट्र के गोभक्त हिन्दुओं को जागृत कर एक सूत्र में पिरोने का है तथा गोमाता की दुर्गति , गो हत्या के कलंक को मिटाकर कर, पशु के अपमान से हटा कर राष्ट्रमाता का सम्मान दिलाना है।

इस गो ध्वज स्थापना पद यात्रा का सूत्रवाक्य है : गौ माता, राष्ट्र माता - राष्ट्र माता, भारत माता

इस ऐतिहासिक यात्रा को सफल बनाने के लिए ज्योतिषपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जी के प्रतिनिधि एवं यात्रा के संयोजक ब्रह्मचारी मुकुंदानंद जी तथा सह- संयोजक गोभक्त विकास पाटनी जी, प्रदेश यात्रा संयोजक श्री प्रकाश पांडेय जी, प्रादेशिक आयोजक - श्री विज्ञान सिंह , सती मंदिर से सतीश तुलस्यान , भानु जालान , पहाड़ी मंदिर से राजेश साहू , बादल सिंह, संजना शर्मा , दीपक नन्दा , सपना चटर्जी , सुभाशीष चटर्जी ,मीरा गुप्ता पुजारी मनोज मिश्रा ,पिंटू बाबा , गौ सेवा आयोग राजीव रंजन , धार्मिक न्यास बोर्ड अध्यक्ष जयशंकर पाठक एवं तमाम सनातनी भक्त जोर-शोर से लगे हुए हैं। 

ये जानकारी कार्यक्रम संयोजक विज्ञान सिंह एवं बादल सिंह ने दिया।

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