भारत कोविड-19 के दौर से गुजर चुका है। दुनिया ने देखा कि महामारी किस तरह देशों की स्वास्थ्य प्रणाली को हिलाकर रख सकती है। इसी अनुभव के बीच ICMR के डायरेक्टर जनरल डॉ. राजीव बहल ने एक अहम चेतावनी दी है— भारत को आने वाली महामारियों के लिए आज से ही तैयार रहना होगा। डॉ. बहल का कहना है कि दुनिया में पिछले 100 साल की ज्यादातर महामारियां वायरस और जानवरों से फैलने वाली बीमारियों के कारण आई हैं। कोविड-19 भी ऐसा ही उदाहरण रहा जब वायरस जानवर से इंसान में आया। उनका मानना है कि वैज्ञानिकों, फार्मा इंडस्ट्री और देश की बड़ी शोध संस्थाओं को मिलकर काम करने की जरूरत है ताकि किसी भी नई बीमारी की दवा, वैक्सीन और रिसर्च तुरंत शुरू की जा सके।
वन हेल्थ अप्रोच की जरुरत
डॉ. बहल ने “वन हेल्थ अप्रोच” अपनाने पर जोर दिया। यह अवधारणा बताती है कि मनुष्य, जानवर और पर्यावरण—इन तीनों की सेहत आपस में जुड़ी हुई है। अगर पर्यावरण और जीव जगत में बदलाव आएंगे तो नए वायरस पैदा होंगे और इंसानों तक पहुंचेंगे। इसीलिए महामारी को रोकने के लिए केवल मानव स्वास्थ्य पर ध्यान देना काफी नहीं है, बल्कि जंगलों, जानवरों और जलवायु पर लगातार नजर रखना बेहद जरूरी है। भारत एक विशाल जनसंख्या वाला देश है जहाँ स्वास्थ्य सेवाओं और रिसर्च इंफ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत करने की आवश्यकता है। वैज्ञानिक क्षमताओं के बावजूद अभी भी चिकित्सा संसाधनों का बड़ा हिस्सा शहरों में केंद्रित है। ऐसे में किसी भी बड़े संक्रमण के फैलने पर ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे पहले संकट दिखता है। डॉ. बहल ने यह भी कहा कि देश में दवाओं और वैक्सीन से जुड़ा उद्योग महामारी के लिए तैयार स्थिति में रहे। उत्पादन क्षमता बढ़े और रिसर्च संस्थान बीमारी के शुरुआती संकेत पकड़ने में सक्षम बनें। इसके अलावा देश के मेडिकल और साइंस एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल की जरूरत है ताकि महामारी का खतरा सामने आते ही टीमवर्क शुरू हो सके।
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वायरसों का स्वरूप बदलता रहता है। कई संक्रमण जानवरों में मौजूद रहते हैं, और समय आने पर इंसानों में फैल जाते हैं। इसलिए वैज्ञानिक जगत को लगातार नए वायरसों पर रिसर्च करनी पड़ेगी। साथ ही पर्यावरण संतुलन और वन्यजीव संरक्षण भी महामारी रोकथाम का हिस्सा है।ICMR DG की यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब दुनिया में नए वायरस लगातार नजर आ रहे हैं। ऐसे संकेत बताते हैं कि भारत को मजबूत विज्ञान, उद्योग सहयोग और स्वास्थ्य ढांचे पर और ज्यादा निवेश करना होगा—क्योंकि बीमारी का खतरा सीमाएं नहीं देखता।
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