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बिहार में 8 महीने में गायब हो गईं 5,117 लड़कियां, पुलिस के भी ढूंढने में छूट रहे पसीने

बिहार में बच्चों के अपहरण और लापता होने  के मामले बढ़ रहे हैं. इस साल जनवरी से अगस्त के बीच 5,958 बच्चे गायब हुए हैं, इनमें से 5,117 लड़कियां हैं, जबकि 841 लड़के हैं. पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने शुक्रवार 3 नवंबर को यह जानकारी दी. एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने बताया कि गायब हुए 5,958 बच्चों में पुलिस ने 383 लड़कों और 2,416 लड़कियों को बरामद किया है. वहीं 3,145 बच्चे अब भी लापता हैं. पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक, लड़कियों के गायब होने के मामले में तेजी आई है और यह आंकड़ा काफी डरावना है. 

एडीजी ने कहा कि पुलिस गुमशुदगी के कारणों की पड़ताल भी कर रही है. लापता बच्चों की दूसरे राज्यों में भी तलाश की जा रही है. एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने कहा कि ये बच्चे गुम हुए हैं या इनका अपहरण हुआ है. साथ ही बच्चों को बिहार से बाहर दूसरे राज्यों में तो नहीं बेचा जा रहा है, ऐसे तमाम सवालों के जवाब खोजे जा रहे हैं. एडीजी गंगवार ने कहा कि अब हर महीने की 15 और 16 तारीख को थाना स्तर पर किडनैप एवं गुमशुदा बच्चों के घर जाकर उनके संबंध में अभिभावकों से संपर्क कर भौतिक सत्यापन का विशेष अभियान चलाने का आदेश दिया गया है.

एडीजी ने बताया कि प्रत्येक जिले में इस सेवा के सुचारू संचालन हेतु डीएम की अध्यक्षता में चाइल्डलाइन एडवाइजरी बोर्ड गठित है. पुलिस अधीक्षक इसके सदस्य हैं. प्रत्येक थानाध्यक्ष को संबंधित थाना का पदेन किशोर कल्याण पदाधिकारी नामित किया गया है. मुख्यालय स्तर पर सीआइडी कमजोर वर्ग के द्वारा पोर्टल की नियमित मॉनीटरिंग की जाती है. गुमशुदा बच्चों का राष्ट्रीय स्तर पर मिलान सुनिश्चित कर उनको परिवार के सुपुर्द किया जाता है. एडीजी ने कहा कि बच्चे किस कारण से गुमशुदा हो रहे हैं और किन राज्यों में उनकी बरामदगी हो रही है, उससे संबंधित आंकड़ों का मुख्यालय के स्तर पर विश्लेषण किया जा रहा है.

बता दें कि बच्चों को बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों से भी बरामद किया गया है. पुलिस गुमशुदगी के कारणों की पड़ताल भी कर रही है. गुम या किडनैप बच्चे बिहार से किस राज्य में गए या ले जाए गए, इसके पीछे उद्देश्य क्या था, इन बिंदुओं पर विश्लेषण किया जा रहा है. 

एडीजी मुख्यालय ने बताया कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर चाइल्ड इंडिया फॉउंडेशन और केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा चाइल्डलाइन सेवा का संचालन किया जा रहा है. इसके अंतर्गत आपातकालीन सेवा 1098 संचालित है. इनके द्वारा ट्रैक द मिसिंग चाइल्ड डॉट जीओवी डॉट इन वेब पोर्टल पर लगातार गुमशुदा, किडनैप, बरामद बच्चों से संबंधित डाटा अपलोड किया जाता है. बिहार पुलिस के अपराध अनुसंधान विभाग के कमजोर वर्ग के द्वारा राज्य से जुड़े मामलों की मानीटरिंग की जाती है.

पुलिस मुख्यालय के अनुसार, हर जिले में चाइल्डलाइन सेवा के संचालन के लिए जिला समाहर्ता की अध्यक्षता में चाइल्डलाइन एडवाइजरी बोर्ड गठित है. संबंधित जिले के पुलिस अधीक्षक इसके सदस्य हैं. प्रत्येक थानाध्यक्ष अपने थाना क्षेत्र के पदेन किशोर कल्याण पदाधिकारी होते हैं. थानाध्यक्ष के न रहने पर प्रभार में रहने वाले पदाधिकारी किशोर कल्याण पदाधिकारी के रूप में कर्तव्य का निर्वहन करेंगे.

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