अब अगर आप किसी सरकारी पदाधिकारी या कर्मी के खिलाफ एक बार किसी मामले में शिकायत दायर करते हैं तो इसे वापस नहीं ले पाएंगे. ऐसा करने वालों पर कार्यवाई होगी. अब किसी सरकारी लोकसेवक के खिलाफ शपथ-पत्र के साथ की गई कोई शिकायत किसी सूरत में या बहाने से वापस नहीं होगी. ऐसे लोगों के खिलाफ कानून के तहत कार्यवाई की जाएगी. यह आदेश सभी निगरानी समेत किसी भी विभाग या जिला स्तर पर की गई शिकायत पर लागू होगी.
इसकी जरुरत क्यों पड़ी ?
अक्सर यह देखा जाता है कि कई लोग पहले किसी लोकसेवक के खिलाफ शिकायत करते हैं, फिर कुछ समय के बाद उस शिकायत पत्र को यह कहते हुए वापस ले लेते हैं कि यह शपथ-पत्र बहकावे में भेज दिया था या किसी दुर्भावना से प्रेरित था. कुछ मामलों में यह भी देखा गया है कि पदाधिकारियों पर बेवजह दवाब बनाने के लिए भी ऐसा किया जाता है. इसके मद्देनजर विभाग के स्तर से यह आदेश जारी किया गया है.
इससे संबंधित आदेश निगरानी विभाग ने सभी विभागों के प्रमुख से लेकर DM, SP समेत अन्य को जारी कर दिया है. पत्र में सभी महकमों को दिशा-निर्देश जारी करते हुए इसका पालन करने के लिए कहा गया है. इसमें यह भी कहा गया है कि जून 2005 में मुख्य सचिव के स्तर से लोक सेवकों के खिलाफ प्राप्त किसी बेनामी या छद्म नाम से शिकायत पत्रों पर कार्यवाई करने को लेकर मार्ग दर्शन जारी किया गया था.
ज्यादातर मामले निकले फर्जी
निगरानी विभाग में खासतौर से यह देखा गया कि भ्रस्टाचार के मामले को लेकर बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि एवं आम जनता की तरफ से सरकारी सेवकों के खिलाफ बड़ी संख्या में शिकायत-पत्र प्राप्त होते हैं. इसमें नियमानुकूल कार्यवाई की जाती है परंतु जांच में अधिकांश मामले फर्जी पाए जाते हैं या शिकायतकर्ता आगे चलकर इसे वापस ले लाते हैं. दूसरा शपथ-पत्र दायर कर पहले वाले को रद्द करने या आधारहीन आरोप लगाने की बात कहते हैं.