New Delhi : टाटा ग्रुप (Tata Group) के चेयरमैन रतन टाटा (Ratan Tata) का पार्थिव शरीर मुंबई के नरीमन प्वाइंट स्थित नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (NCPA) में रखा है। यहां राजकीय सम्मान के साथ तिरंगे में लिपटा कर पार्थिव शरीर रखा गया है। लोग दोपहर 4 बजे तक उनका अंतिम दर्शन कर सकते हैं। हालांकि, एक बड़ा सवाल हर किसी के जहन में आ रहा है कि पारसी रतन टाटा (Ratan Tata) का अंतिम संस्कार कैसे किया जाएगा? दरअसल, पारसी धर्म (Parsi Religion) में मृत शरीर को जलाना और दफनाना मना है।
क्या हैं पारसी धर्म की मान्यताएं?
पारसी धर्म (Parsi Religion) में मृत शरीर को अशुद्ध माना जाता है। इस धर्म में पृथ्वी, जल और अग्नि को बेहद पवित्र माना गया है। इस कारण से शवों को जलाना या दफनाना पूरी तरह गलत मानते हैं। पर्यावरण के प्रति काफी सजग पारसियों का मानना है कि मृत शरीर को जलाने से अग्नि तत्व अपवित्र होता है। हम शवों को नहीं दफनाते, क्योंकि इससे धरती प्रदूषित होती है। शवों को नदी में बहा भी नहीं सकते, क्योंकि इससे जल प्रदूषित होता है। बता दें, पारसी धर्म में शव को टावर ऑफ साइलेंस यानी कि दखमा ले जाया जाता है। टावर ऑफ साइलेंस (Tower of Silence) में शव को ऊपर खुले में रखकर प्रार्थना शुरू की जाती है।
शवों को गिद्धों-चीलों को खाने के लिए छोड़ा जाता है
इस प्रार्थना के बाद शव को गिद्धों और चीलों के खाने के लिए छोड़ा जाता है। यही पारसी समुदाय (Parsi Religion) की परंपरा है। बता दें, जिस तरह हिंदू धर्म में श्मसान और मुस्लिम में कब्रिस्तान होता है। वैसे ही पारसी में टावर ऑफ साइलेंस (Tower of Silence) होता है। टावर ऑफ साइलेंस गोलाकार स्थान होता है, जहां शव को आसमान के हवाले रखा जाता है। उसके बाद गिद्ध और चील मृत शरीर खा जाते हैं। यह परंपरा इस धर्म में करीब 3 हजार साल से चली आ रही। हालांकि, कुछ साल में गिद्ध की संख्या घटने से पारसी समुदाय को अपनी परंपरा के अनुसार अंतिम संस्कार करने में खासी दिक्कतें आ रहीं हैं। ऐसे में यह समुदाय अब अपना रिवाज छोड़ शवों को जलाकर अंतिम संस्कार भी कर रहे। ये लोग शव को हिंदू श्मसान घाट या विद्यत शवदाह गृह में ले जाते हैं।
रतन टाटा के पार्थिव शरीर को इलेक्ट्रिक अग्निदाह में रखा जाएगा
सूत्रों के अनुसार, पद्म विभूषण रतन टाटा (Ratan Tata) के पार्थिव शरीर को शाम 4 बजे मुंबई के वर्ली स्थित इलेक्ट्रिक अग्निदाह में रखा जाना है। यहां 45 मिनट तक प्रेयर होगी। फिर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी होगी।